Friday, 1 March 2019

पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई हो...

गत 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में “जैश-ए-मोहम्मद” के एक आत्मघाती बम हमलावर ने विस्फोटकों से लदी एक गाड़ी सीआरपीएफ की एक बस से टकरा दी। फलस्वरूप विस्फोट में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए और कई अन्य गम्भीर रूप से घायल हुए। पुलवामा के अवंतिपुरा में हुए इस आत्मघाती हमले के बाद पूरे देश में रोष फैल गया और हर तरफ से आतंक और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का मांग उठने लगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आश्वस्त किया है कि आतंकी संगठन और उनके सरपरस्त गुनाहगारों को उनके इस अपराध की सजा जरूर मिलेगी। उरी हमले के तीन साल बाद कश्मीर घाटी में हुए इस हमले के बाद केंद्रीय मंत्रीमण्डल सुरक्षा समिति की बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने की दृष्टि से सरकार ने दो मुख्य निर्णय लिए हैं। इनमें एक, भारत द्वारा पाक को मोस्ट फेवर नेशन का दर्जा वापस लिया है और दूसरा, सेना को कार्रवाई के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दे दी है। इन निर्णयों से यह उम्मीद जगी है कि अब प्रधानमंत्री मोदी पाक के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करेंगे। 

प्रधानमंत्री मोदी विश्व पटल पर भले ही कूटनीति के रंग दिखाने में सफल हों, लेकिन अपने देश की आंतरिक स्थिति को सुधारने और पाकिस्तान को सबक सिखाने की दृष्टि से उनकी रणनीति को सफलता मिलना अभी शेष है। सीमा के भीतर से सैन्य ठिकानों पर आतंकी हमलों की सूची लम्बी है। हंदवाड़ा, शोपियां, पुलवामा, तंगधार, कुपवाड़ा, पंपोर, श्रीनगर, सोपोर, राजौरीम, बड़गाम, उरी और पठानकोट में हुए हमलों में हमने अपने सैनिकों के रूप में बड़ी कीमत चुकाई है। भारत की ओर से संबंधों में सुधार की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि वह शांति कायम रखने और निर्धारित शर्तों को मानने के लिए कतई गम्भीर नहीं हैं। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान संबंधी नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन किया जाए। साथ ही कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में भी नई और ठोस रणनीति अमल में लाई जाए।

भारत ने पाकिस्तान से अनुकूल (फेवरेट) नेशन का दर्जा वापस लेकर एक अच्छी पहल की है। इससे दुनिया से व्यापार के स्तर पर पाक की जो मजबूत साख बनी हुई है, इससे पाक की अंतर्राष्ट्रीय साख पर बट्टा लगेगा। यह अपनी जगह ठीक है, लेकिन शोक, आक्रोश एवं दुख की इस घड़ी में केवल और केवल घाटी की इस लड़ाई को निर्णायक लड़ाई में बदलने की जरूरत है। क्योंकि पाकिस्तान आर्थिक प्रतिबंध की भाषा समझता नहीं है, इसलिए उसे केवल ताकत की भाषा से सबक सिखाने की जरूरत है। 2016 में पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकी शिविरों पर जो हमला बोला था, यह सिलसिला पाकिस्तान की जमीन पर जारी रखना होगा। जरूरत पड़े तो 1971 की लड़ाई की तरह पाक से सीधी लड़ाई भी लड़नी होगी। इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यस्था पूरी तरह चरमरा रही है, इसलिए यह गरम लोहे पर चोट करने का सही समय है। अब पाक के साथ निर्णायक और बहुकोणीय लड़ाई लड़ने की जरूरत है। पत्थरबाज यदि सामने आते हैं तो उन्हें भी न केवल सबक सिखाने की जरूरत है, बल्कि इस तरह के मामलों को मानवाधिकार के दायरे से भी बाहर करना होगा।

राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपनी प्राण हथेली पर लिए हमारी भारतीय सेना प्रतिपल अपने कर्तव्य का पालन कर रही है। हम सभी देशवासी सेना के पराक्रम को नमन करते हैं, और ईश्वर से हम प्रार्थना करते हैं कि भारत के शत्रुओं के विरुद्ध चलाए जानेवाले सभी अभियानों में हमारे वीर जवानों को विजय प्राप्त हो।

पुलवामा में शहीद हुए सभी जवानों को हम सभी की ओर विनम्र श्रद्धांजलि...शत शत नमन...