Monday 1 April 2019

मनाएं अपना “भारतीय नववर्ष”

विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक कालगणना का नववर्ष है - चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा। वर्ष प्रतिपदा, गुढ़ीपाड़वा, नवसंवत्सर, संवत्सरी, चेट्रीचंद आदि नामों से मनाया जानेवाला यह वर्ष के स्वागत का पर्व काल के माहात्म्य का पर्व है। इसका एक नाम युगादी है जिसे उगादी भी कहा जाता है। युग का आदि अर्थात प्रारम्भ का दिन। इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। सृजन के साथ ही समय का प्रारम्भ हुआ। वास्तव में यह अत्यन्त वैज्ञानिक संकल्पना है। हिन्दू धर्म का नववर्ष इसी दिन प्रारम्भ होता है। हिंदी पंचांग में इस तिथि का बहुत अधिक महत्व है। यह अनेक ऐतिहासिक पलों या फिर कई घटनाओं का स्मरण करने का दिन है। वैज्ञानिक मान्यता है कि हिन्दू पंचांग व कालगणना सबसे अधिक वैज्ञानिक है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सृष्टि के आरम्भ का दिन है। अपनी यह कालगणना सबसे प्राचीन है। सृष्टि के आरम्भ से अब तक १ अरब, ९५ करोड़, ५८ लाख, ८५ हजार ९९ वर्ष से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। यह गणना ज्योतिष विज्ञान के द्वारा निर्मित है। आधुनिक वैज्ञानिक भी सृष्टि की उत्पति का समय एक अरब वर्ष से अधिक बता रहे हैं। भारत में कई प्रकार से कालगणना की जाती है। युगाब्द (कलियुग का प्रारंभ) श्रीकृष्ण संवत्, विक्रमी संवत्, शक संवत् आदि। वर्ष प्रतिपदा का दिन एक प्रकार से मौसम परिवर्तन का भी प्रतीक है। बसंत ऋतु का आरम्भ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है। यह उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों ओर पीले पुष्पों की सुगन्ध  से भरी होती है। इस समय नई फसलें भी पककर तैयार हो जाती हैं। नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने का शुभ समय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही होता है।

कहा जाता है कि इसी दिन सूर्योदय से ब्रहमाजी ने जगत् की रचना प्रारम्भ की। २०७५ वर्ष पहले सम्राट् विक्रमादित्य ने अपना राज्य स्थापित किया था जिनके नाम पर विक्रमी सम्वत् आरम्भ हुआ। इसी दिन लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आने के बाद प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। अतः यह दिन श्रीराम के राज्याभिषेक दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। शक्ति और भक्ति का प्रतीक नवरात्रि का पर्व भी इसी दिन से प्रारम्भ होता है। एक प्रकार से नवरात्रि स्थापना का पहला दिन यही है। सिखों के द्वितीय गुरू अंगददेवजी का प्राकट्योत्सव  भी मनाया जाता है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। सिन्ध प्रांत के समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए। अतः यह दिन चेट्रीचंद के रूप में सिंधी समाज बड़े ही उत्साह के साथ मनाता है। पूरे देशभर में सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया जाता है। झांकिया आदि निकाली जाती हैं। विक्रमादित्य की भांति उनके पौत्र शालिवाहन ने हूणों को परासत करके दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिए शालिवाहन सम्वत्सर का प्रारम्भ किया। सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था।

अपनी कालगणना हिन्दू जीवन के रोम-रोम एवं भारत के कण-कण से अत्यंत गहराई से जुड़ी है। भारत की सामान्य ग्रामीण जनता भी अच्छी तरह से जानती है कि अष्टमी कब है या नवमी कब है। देश का किसान व गरीब जनता भी चन्द्रमा की गति से परिचित होता है। हिन्दू नववर्ष के दिन हिन्दू घरों में नवरात्रि के प्रारम्भ के अवसर पर कलश स्थापना की जाती है। घरों में पताका, ध्वज आदि लगाये जाते हैं तथा पूरा नववर्ष सफलतापूर्वक बीते इसके लिए माता-पिता सहित सभी बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। लोग नौ दिनों तक फलाहारी व्रत रहकर माँ की आराधना करते हैं तथा उनका पुण्य प्राप्त करते हैं।

आइए, हम अपना नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो इस वर्ष 6 अप्रैल को है, मनाएं और यह सन्देश घर-घर पहुंचाएं।